जरा सी जगह छोड देना अपनी नीदो मै,
क्योकि....
आज रात तेरे ख्बाबो मै हमारा बसेरा होगा
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बिखरने दो होंठों पे हँसी की फुहारों को,
प्यार से बात कर लेने से दौलत कम नहीं होती…
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देख जिँदगी तू हमे रुलाना छोड दे
अगर हम खफा हूऐ तो तूझे छोड देँगे
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ना जाने कहा गुजरता है अब वक्त उनका;
जिनके लिये कभी हम वक्त से भी ज्यादा कीमती थे..!
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दूरियाँ जब बढ़ी तो गलतफहमियां भी बढ़ गयी... फिर तुमने वो भी सुना जो मैंने कहा ही नही
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हम भी मुस्कराते थे. कभी बेपरवाह अन्दाज़ से....देखा है आज खुद को.. कुछ पुरानी तस्वीरों में...
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जाते वक्त उसने मुजसे अजीब सी बात कही " तुम जिंदगी हो मेरी, और मुझे मेरी जिंदगी से नफरत है
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आप किसी इंसान का दिल बस तब तक दुखा
सकते
हो..
जब तक वो आपसे प्रेम करता है...!!
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मत किया कर ऐ दिल किसी से मोहब्बत इतनी..
जो लोग बात नहीं करते वो प्यार क्या करेंगे...!!"
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तुम से बिछड़ के फर्क बस इतना हुआ.
तेरा गया कुछ नहीँ
और मेरा रहा कुछ नहीँ..
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 दिलो जान से करेंगे हिफ़ाज़त उसकी बस एक बार वो कह दे कि मैं अमानत हूं तेरी ।.
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वो अक्सर मुझसे कहते हैं...रिश्ते फूल जैसे होते हैं क़दम रुक से गए आज मेरे *** बाज़ार में फूल बिकते देखकर
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अब भी रोज तुम्हारे status पर एक नजर मार लेता हूं ये सोच कर शायद तुमने मेरे बारे में भी कुछ लिखा होगा
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बरबाद कर देती है मोहब्बत हर मोहब्बत करने वाले को क्युकि
इश्क हार नहीं मानता और
दिल बात नहीं मानता! !
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जब से बंद हुआ है तेरे खतों का सिलसिला
मुझे हर शख्स डाकिया लगता है
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ना तोल मेरी मोहब्बत अपनी दिल्लगी से देखकर मेरी चाहत को अक्सर तराजु टुट जाते हैं
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सारी शिकायतों का, हिसाब जोड़ कर रखा था
मेने,
दोस्त ने गले लगाकर, सारा गणित ही बिगाड़
दिया...
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सुना है कि तुम रातों को देर तक जागते हो
यादों के मारे हो या मोहब्बत में हारे हो
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"फिर से मुझे मिट्टी में खेलने दे ऐ
जिन्दगी.. ये साफ़ सुथरी
ज़िन्दगी, उस मिट्टी से ज्यादा
गन्दी है"..!!
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 मैं ज़हर तो पी लूँ शौक से तेरी खातिर ....पर शर्त ये है कि तुम सामने बैठ कर साँसों को टुटता देखो...
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चल ना यार हम फिर मिट्टी से खेलते है।
हमारी उम्र ही क्या थि जो मुहोब्बत से खेल बैठे ॥
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भरे बाजार से अक्सर खाली हाथ ही लौट आता हुँ ......
पहले पैसे नही थे, अब ख्वाहिशें नही रही...।।"
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